कार्बनिक यौगिक क्रियात्मक समूह परीक्षण
कार्बनिक यौगिक अशुद्धि के कारण भी रंगीन हो जाते है। जैसे- ऐनिलीन तथा फीनोल शुद्ध अवस्था में रंगहीन होते है परन्तु वायु के सम्पर्क में क्रमश: लाल तथा गुलाबी रंग के हो जाते है।
साधारणतया ष्ट, ॥ और ष्ट,॥ तथा ह्र वाले यौगिक रंगहीन होते है। परन्तु इसके अपवाद भी है। जैसे- श्च -बैंजोक्विनोन, -नेफ्थाक्विनॉन आदि।
ऐरोमैटिक नाइट्रो यौगिक पीले रंग के होते है। जैसे- नाइट्रोबेंजीन तथा पिक्रिक अम्ल।
गंध : कार्बनिक यौगिक की स्वयं की एक विशेष गंध होती है जिसके द्वारा उनको पहचाना जा सकता है। कुछ यौगिकों की विशेष प्रकार की गंध होती है जैसे-
कार्बोलिक गंध : फीनॉल, नेफ्थॉल
मछली की सी गंध : ऐरोमैटिक एमीन
कड़वे बादाम की गंध : नाइट्रोबेंजीन, नाइट्रोटॉलुईन तथा बेंजेल्डिहाइड
सुगंध : मेथिल ऐसीटेट, ऐथिल ऐसीटेट ऐसीटोफीनॉन
सड़े चूहे जैसी गंध : ऐसीटैमाइड
विशिष्ट ऐरोमैटिक गंध : बैंजीन, टॉलुईन
तीक्ष्ण गंध : ऐसीटिक अम्ल, फॉर्मिक अम्ल
विभिन्न विलायकों में विलेयता : कार्बनिक यौगिक की एक विशेष प्रकार के विलायक में विलेयता उसकी पहचान की जानकारी देता है। विलेयता से यौगिक में उपस्थित क्रियात्मक समूह का पता चलता है। कार्बनिक यौगिक की विलेयता को क्रमश: जल, तनु हृड्डह्र॥, तनु जलीय हृड्ड॥ष्टह्र३ तनु ॥ष्टद्य तथा सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल में निर्धारित करते है।
०.१ ग्राम ठोस या ३-४ बूंदे द्रव को एक परखनली में लेकर २.० मिली विलायक के साथ हिलाते है। यदि कार्बनिक यौगिक विलायक में विलेय होता है तो एक पारदर्शी विलयन प्राप्त होता है।
ज्वलन : कार्बनिक यौगिक के ज्वलन से उसकी ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक प्रकृति का पता लगाया जा सकता है। ऐरोमैटिक यौगिक धुंएदार ज्वाला के साथ और ऐलिफटिक यौगिक बिना धुंएदार ज्वाला के साथ जलते है। कुछ ऐरोमैटिक यौगिक जैसे बैंजिल ऐल्कोहॉल धुंएदार ज्वाला के साथ नहीं जलते हैं।
ष्ट एवं ॥ युक्त और ष्ट,॥ एवं ह्र युक्त यौगिक
१. कार्बोक्लिक समूह परीक्षण -
सोडियम बाइकार्बोनेट परीक्षण - ठोस पदार्थ को ०.२ ग्राम मात्रा या द्रव के लगभग ५ मिली में सोडियम बाईकार्बोनेट का ५त्न जलीय विलयन मिला कर गर्म करने पर तेजी से बुदबुदाहट के साथ कार्बन-डाईऑक्साइड गैस निकलती है।
क्रष्टह्रह्र॥ + हृड्डष्ट॥ह्र३ क्रष्टह्रह्रहृड्ड + ष्टह्र२ + ॥२ह्र
नोट : १. यदि कार्बोक्लिक अम्ल गर्म जल में भी अघुलनशील हो तो इस परीक्षण में कठिनाई आती है।
२. कुछ फीलोलिक यौगिक भी कभी-कभी यह परीक्षण देते है।
एस्टर परीक्षण - एक परखनली में ०.१ ग्राम ठोस या २-३ बुँद द्रव लेकर २ बुँद सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल एवं ४-५ बुँद एथिल एल्कोहॉल मिलाते है। मिश्रण को धीरे-धीरे गर्म करते है। बाद में ठण्डा कर इसे थोड़े जल में डाल देते है। फलों जैसे रूचिकर गंध कार्बोक्लिक समूह की पहचान करती है।
क्रष्टह्रह्र॥ + ष्ट२॥५ह्र॥ क्रष्टह्रह्रष्ट२॥५ + ॥२ह्र
फलों जैसी गंध
फिनोलिक समूह का परीक्षण:
सभी फिनोलों में अभिलाक्षणिक गंध होती है।
सभी फीनोल ऐरोमैटिक यौगिक होती है।
सेरिक अमोनियम नाइट्रेट के साथ फीनोल हरा या भूरा अवक्षेप देते है।
फेरिक क्लोराइड परीक्षण- पदार्थ के जलीय अथवा ऐल्कोहॉलिक विलयन में २-३ बूँद उदासीन फेरिक क्लोराइड विलयन डालने पर नीला, बैंगनी, लाल अथवा हरा रंग उत्पन्न होना फीनोलिक समूह की उपस्थिति दर्शाता है।
३ष्ट६॥५ह्र॥+ स्नद्गष्टद्य३ (ष्ट६॥५ह्र३)३स्नद्ग + ३॥ष्टद्य
लिबरमान परीक्षण - ०.१ ग्राम पदार्थ में अल्प मात्रा में हृड्डहृह्र२ डालने के बाद १ मिली सांद्र ॥२स्ह्र४ मिला कर मिश्रण को हल्का गर्म करते है। हरा, नीला अथवा काला रंग आता है। इस मिश्रण को तनु करने पर यह लाल रंग में परिवर्तित हो जाता है, बाद में हृड्डह्र॥ विलयन द्वारा क्षारीय करने पर पुन: गहरा नीला अथवा हरा रंग प्राप्त होता है।
ऐल्कोहॉलिक समूह परीक्षण
(१) सेरिक अमोनियम नाइट्रेट परीक्षण - यौगिक की पाँच-सात बूँद और ठोस होने पर सान्द्र जलीय विलयन में पाँच-सात बूँद सेरिक अमोनियम नाइट्रेट मिला कर मिश्रण को हिलाने पर लाल रंग प्राप्त होता है तो ऐल्कोहॉलिक समूह उपस्थित है।
फिनोल यौगिक इस अभिकर्मक के साथ हरा, नीला या भूरा रंग देते है।
(२) सोडियम धातु के साथ परीक्षण - यदि पदार्थ द्रव हो तो निर्जल द्रव शुष्क परखनली में लेकर उसमें सोडियम धातु का टुकड़ा डालते हैं। तीव्र बुदबुदाहट के साथ हाइड्रोजन गैस निकलने पर एल्कोहॉलिक समूह उपस्थि है।
(३) जैन्थेट और मोलिब्डेट परीक्षण - द्रव की पाँच बूँद में थोड़ा सा ठोस ्यह्र॥ डालकर जल ऊष्मक पर ्यह्र॥ विलेय होने तक गर्म करते है। इसे ठण्डा कर उसमें एक मिली. ईथर एवं आधा मिली. कार्बन डाइसल्फाइड मिलाते है। पीला अवक्षेप प्राप्त होता है तो एल्कोहॉलिक समूह उपस्थित है।
अवक्षेप को छानकर इसमें एक मिली. अमोनियम मोलिब्डेट विलयन तथा तुन ॥ष्टद्य आधिक्य में मिलाने पर लाल या नीला रंग ऐल्किोहॉलिक समूह की पहचान दर्शाता है।
(४) एस्टर परीक्षण - पदार्थ की थोड़ी मात्रा में निर्जल ठोस सोडियम ऐसीटेट तथा दो बूँद सान्द्र ॥२स्ह्र४ डालकर गर्म करते हैं तो फलों जैसी रूचिकर गंध आती है तो ऐल्कोहॉलिक समूह उपस्थित है।
ऐल्कोहॉलिक समूह परीक्षण - ग्राम पदार्थ में अल्प मात्रा में हृड्डहृह्र२ डालने के बाद १ मिली सांद्र ॥२स्ह्र४ मिला कर मिश्रण को हल्का गर्म करते है। हरा, नीला अथवा काला रंग आता है। इस मिश्रण को तनु करने पर यह लाल रंग में परिवर्तित हो जाता है, बाद में हृड्डह्र॥ विलयन द्वारा क्षारीय करने पर पुन: गहरा नीला अथवा हरा रंग प्राप्त होता है।
कार्बोनिल समूह परीक्षण - ऐल्डिहाइड तथा कीटोन दोनों में कार्बोनिल समूह उपस्थित होता है। इसकी पहचान ेक लिए निम्न परीक्षण करते है:
(१) २,४- डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रैजीन परीक्षण : द्रव पदार्थ की पाँच बूँद या ठोस पदार्थ का ऐल्कोहॉलिक विलयन लेकर उसमें एक मिली. २,४-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रैजीन मिलाकर गर्म करते है। पीले अथवा नारंगी अवक्षेप प्राप्त होता है तो कार्बोनिल समूह (ऐल्डिहाइड या कीटोन) उपस्थित है।
एल्डिहाइड समूह के लिए परीक्षण :
(१) फेङ्क्षलग विलयन परीक्षण : फेलिंग विलयन च्एज् एवं फेलिंग विलयन च्बीज् की समान मात्रा मिलाकर दिए गये पदार्थ की थोड़ी मात्रा मिलाकर गर्म करते है। लाल रंग का अवक्षेप प्राप्त होता है तो ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
(२) टॉलेन अभिकर्मक द्वारा परीक्षण : कार्बनिक यौगिक की थोड़ी मात्रा में दो मिली. टॉलेन अभिकर्मक (अमोनिया युक्त सिल्वन नाइट्रेट) मिलाकर गर्म करने पर काले अवक्षेप या परखनली की भीतरी सतह पर रजत दर्पण बनता है तो एल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
(३) शिफ अभिकर्मक परीक्षण : कार्बनिक यौगिक की थोड़ी मात्रा में दो -तीन मिली. शिफ अभिकर्मक डालकर अच्छी तरह से हिलाते है। लाल गुलाबी रंग आता है तो ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
(४) बेन्डिक्ट विलयन द्वारा परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में दो मिली. बेन्डिक्ट विलयन मिलाकर उबालने पर लाल-पीले रंग का अवक्षेप प्राप्त होता है। तो ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
कीटोन समूह के लिए परीक्षण :
(१) मेटा डाइ नाइट्रो बेंजीन परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में थोड़ी मात्रा में मेटा-डाइनाइट्रो बेंजीन मिलाकर इसमें तनु हृड्डह्र॥ विलयन का आधिक्य मिलाने पर लाल या बैंगनी रंग प्राप्त होता है। तो कीटोन उपस्थित है। यह परीक्षण बेन्जोफीनोन नहीं देता है। यह परीक्षण केवल मेथिल कीटोन ही देता है।
(२) सोडियम नाइट्रोप्रुसाइड परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में जलीय सोडियम नाइट्रोप्रुसाइड विलयन तथा हृड्डह्र॥ मिलाने पर मिश्रण का रंग लाल या बैंगनी हो जाता है तो कीटोनिक समूह उपस्थित है।
कुछ ऐल्डिहाइड भी यह परीक्षण देते हैं।
नाइट्रो समूह का परीक्षण :
(१) मुलिकन एवं बार्कर परीक्षण : ०.२ ग्राम कार्बनिक यौगिक को ऐल्किोहॉल की न्यूनतम मात्रा में घोलते हैं और इसमें कैल्सियम क्लोराइड या अमोनियम क्लोराइड के १०त्न विलयन की कुछ बूँदें डालते है। थोडा-सा जस्ता चूर्ण मिलकर मिश्रण को गर्म करते है। ठण्डा कर इसे टॉलेन अभिकर्मक में छान लेते हैं। काला या भूरा अवक्षेप या रजत दर्पण बनता है तो नाइट्र समूह उपस्थित है।
(२) ऐजोरंजक परीक्षण : ०.५ ग्राम कार्बनिक यौगिक में एक ग्राम दानेदार टिन धातु तथा थोड़ी मात्रा में सान्द्र ॥ष्टद्य डालकर तीन-चार मिनट तक उबालते हैं तथा मिश्रण को छान कर ठण्डा कर एक मिली. हृड्डहृह्र२ विलयन मिलाते हैं। इस मिश्रण में -नेफ्थॉल का क्षारीय विलयन मिलाने पर लाल नारंगी रंग का रंजक या अवक्षेप प्राप्त होता है तो नाइट्रो समूह उपस्थित है।
प्राथमिक एमीन का परीक्षण :
(१) कार्बिल ऐमीन परीक्षण : ०.१ ग्राम कार्बनिक यौगिक में दो तीन बूँद क्लोरोफॉर्म तथा एक मिली ऐल्कोहॉलिक ्यह्र॥ विलयन डालकर गर्म करने पर असहनीय अरूचिकर गंध आती है तो प्राथमिक ऐमीनो समूह उपस्थित है।
(१) ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन के लिए रिमिनी परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में २ मिली. जल तथा एक मिली. शुद्ध ऐसीटोन डालकर हिलाते है। इस मिश्रण में १त्न सोडियम नाइट्रोपु्रसाइड विलयन मिलाने पर गहरा लाल या बैंगनी रंग आता है तो ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन उपस्थित है।
(२) ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन के लिए रंजक परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में २ मिली. जल तथा एक मिली. ॥ष्टद्य मिलाकर इसे बर्फ से ठण्डा कर इसमें हृड्डहृह्र२ के ३-५त्न विलयन के २ मिली. -नेफ्थॉल का क्षारीय विलयन मिलाते है। लाल नारंगी अवक्षेप का बनना यौगिक में ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन उपस्थित है।
ऐमिडो समूह परीक्षण :
(१) हृड्डह्र॥ द्वारा परीक्षण : कार्बनिक यौगिक की थोड़ी मात्रा को हृड्डह्र॥ विलयन के साथ गर्म करते हैं। अमोनिया की गंध आती है तो ऐमिडो समूह उपस्थित है।
(२) कार्बनिक यौगिक में तनु ॥ष्टद्य तथा हृड्डहृह्र२ विलयन डालकर हिलाते हैं। तेजी के साथ नाइट्रोजन गैस निकलती है। तो ऐमिडो समूह उपस्थित है।
(३) ऐरोमैटिक ऐमाइड का परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में थोड़ी मात्रा में जल मिलाकर तेजी से हिलाते हैं। अब इस मिश्रण में ८-९ बूँद ५त्न ॥२ह्र२ विलयन डालकर तेजी से गर्म करते हैं। विलयन को ठण्डा करके १-२ बूँदें स्नद्गष्टद्य३ विलयन की डालते हैं। यदि ठण्डे में नीला लाल तथा गरम करने पर भूरा रंग प्राप्त होता है तो ऐरोमैटिक ऐमाइड उपस्थित है।
क्रियात्मक समूह के परीक्षण
परिचय : कार्बनिक यौगिकों के क्रियात्मक समूह को सुव्यवस्थित ढंग से पहचानने के लिए निम्न पद प्रयुक्त किये जाते है
१. प्रारम्भिक परीक्षण
२. तत्वों का परीक्षण
३. क्रियात्मक समूहों का परीक्षण
प्रारम्भिक परीक्षण : प्रारम्भिक परीक्षण में यौगिक के भौतिक गुणों जैसे - अवस्था, रंग, गंध , विभिन्न विलायकों में विलेयता, ज्वलन तथा गलनांक तथा क्वथनांक से है।
भौतिक अवस्था: कार्बनिक यौगिक की भौतिक अवस्था का ज्ञान बहुत ही आवश्यक है। इसके अन्र्तगत यह ज्ञात किया जाता है कि यौगिक ठोस है या द्रव। यदि ठोस है तो क्रिस्टलीय है या अक्रिस्टलीय। द्रव है तो गाढ़ा है या पतला।
रंग : कार्बनिक यौगिक का रंग कभी-कभी उसकी प्रकृतिका बोध कराता है। रंग यौगिक की संरचना से सम्बधित होता है। यौगिक में कुछ निश्चित क्रोमोफोरिक समूह होने पर से रंग प्रदर्शित करते है। कुछ क्रोमोफोरिक समूह जिनके कारण कार्बनिक यौगिक रंगीन होते है, वे इस प्रकार है-
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कार्बनिक यौगिक अशुद्धि के कारण भी रंगीन हो जाते है। जैसे- ऐनिलीन तथा फीनोल शुद्ध अवस्था में रंगहीन होते है परन्तु वायु के सम्पर्क में क्रमश: लाल तथा गुलाबी रंग के हो जाते है।
साधारणतया ष्ट, ॥ और ष्ट,॥ तथा ह्र वाले यौगिक रंगहीन होते है। परन्तु इसके अपवाद भी है। जैसे- श्च -बैंजोक्विनोन, -नेफ्थाक्विनॉन आदि।
ऐरोमैटिक नाइट्रो यौगिक पीले रंग के होते है। जैसे- नाइट्रोबेंजीन तथा पिक्रिक अम्ल।
गंध : कार्बनिक यौगिक की स्वयं की एक विशेष गंध होती है जिसके द्वारा उनको पहचाना जा सकता है। कुछ यौगिकों की विशेष प्रकार की गंध होती है जैसे-
कार्बोलिक गंध : फीनॉल, नेफ्थॉल
मछली की सी गंध : ऐरोमैटिक एमीन
कड़वे बादाम की गंध : नाइट्रोबेंजीन, नाइट्रोटॉलुईन तथा बेंजेल्डिहाइड
सुगंध : मेथिल ऐसीटेट, ऐथिल ऐसीटेट ऐसीटोफीनॉन
सड़े चूहे जैसी गंध : ऐसीटैमाइड
विशिष्ट ऐरोमैटिक गंध : बैंजीन, टॉलुईन
तीक्ष्ण गंध : ऐसीटिक अम्ल, फॉर्मिक अम्ल
विभिन्न विलायकों में विलेयता : कार्बनिक यौगिक की एक विशेष प्रकार के विलायक में विलेयता उसकी पहचान की जानकारी देता है। विलेयता से यौगिक में उपस्थित क्रियात्मक समूह का पता चलता है। कार्बनिक यौगिक की विलेयता को क्रमश: जल, तनु हृड्डह्र॥, तनु जलीय हृड्ड॥ष्टह्र३ तनु ॥ष्टद्य तथा सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल में निर्धारित करते है।
०.१ ग्राम ठोस या ३-४ बूंदे द्रव को एक परखनली में लेकर २.० मिली विलायक के साथ हिलाते है। यदि कार्बनिक यौगिक विलायक में विलेय होता है तो एक पारदर्शी विलयन प्राप्त होता है।
ज्वलन : कार्बनिक यौगिक के ज्वलन से उसकी ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक प्रकृति का पता लगाया जा सकता है। ऐरोमैटिक यौगिक धुंएदार ज्वाला के साथ और ऐलिफटिक यौगिक बिना धुंएदार ज्वाला के साथ जलते है। कुछ ऐरोमैटिक यौगिक जैसे बैंजिल ऐल्कोहॉल धुंएदार ज्वाला के साथ नहीं जलते हैं।
ष्ट एवं ॥ युक्त और ष्ट,॥ एवं ह्र युक्त यौगिक
१. कार्बोक्लिक समूह परीक्षण -
सोडियम बाइकार्बोनेट परीक्षण - ठोस पदार्थ को ०.२ ग्राम मात्रा या द्रव के लगभग ५ मिली में सोडियम बाईकार्बोनेट का ५त्न जलीय विलयन मिला कर गर्म करने पर तेजी से बुदबुदाहट के साथ कार्बन-डाईऑक्साइड गैस निकलती है।
क्रष्टह्रह्र॥ + हृड्डष्ट॥ह्र३ क्रष्टह्रह्रहृड्ड + ष्टह्र२ + ॥२ह्र
नोट : १. यदि कार्बोक्लिक अम्ल गर्म जल में भी अघुलनशील हो तो इस परीक्षण में कठिनाई आती है।
२. कुछ फीलोलिक यौगिक भी कभी-कभी यह परीक्षण देते है।
एस्टर परीक्षण - एक परखनली में ०.१ ग्राम ठोस या २-३ बुँद द्रव लेकर २ बुँद सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल एवं ४-५ बुँद एथिल एल्कोहॉल मिलाते है। मिश्रण को धीरे-धीरे गर्म करते है। बाद में ठण्डा कर इसे थोड़े जल में डाल देते है। फलों जैसे रूचिकर गंध कार्बोक्लिक समूह की पहचान करती है।
क्रष्टह्रह्र॥ + ष्ट२॥५ह्र॥ क्रष्टह्रह्रष्ट२॥५ + ॥२ह्र
फलों जैसी गंध
फिनोलिक समूह का परीक्षण:
सभी फिनोलों में अभिलाक्षणिक गंध होती है।
सभी फीनोल ऐरोमैटिक यौगिक होती है।
सेरिक अमोनियम नाइट्रेट के साथ फीनोल हरा या भूरा अवक्षेप देते है।
फेरिक क्लोराइड परीक्षण- पदार्थ के जलीय अथवा ऐल्कोहॉलिक विलयन में २-३ बूँद उदासीन फेरिक क्लोराइड विलयन डालने पर नीला, बैंगनी, लाल अथवा हरा रंग उत्पन्न होना फीनोलिक समूह की उपस्थिति दर्शाता है।
३ष्ट६॥५ह्र॥+ स्नद्गष्टद्य३ (ष्ट६॥५ह्र३)३स्नद्ग + ३॥ष्टद्य
लिबरमान परीक्षण - ०.१ ग्राम पदार्थ में अल्प मात्रा में हृड्डहृह्र२ डालने के बाद १ मिली सांद्र ॥२स्ह्र४ मिला कर मिश्रण को हल्का गर्म करते है। हरा, नीला अथवा काला रंग आता है। इस मिश्रण को तनु करने पर यह लाल रंग में परिवर्तित हो जाता है, बाद में हृड्डह्र॥ विलयन द्वारा क्षारीय करने पर पुन: गहरा नीला अथवा हरा रंग प्राप्त होता है।
ऐल्कोहॉलिक समूह परीक्षण
(१) सेरिक अमोनियम नाइट्रेट परीक्षण - यौगिक की पाँच-सात बूँद और ठोस होने पर सान्द्र जलीय विलयन में पाँच-सात बूँद सेरिक अमोनियम नाइट्रेट मिला कर मिश्रण को हिलाने पर लाल रंग प्राप्त होता है तो ऐल्कोहॉलिक समूह उपस्थित है।
फिनोल यौगिक इस अभिकर्मक के साथ हरा, नीला या भूरा रंग देते है।
(२) सोडियम धातु के साथ परीक्षण - यदि पदार्थ द्रव हो तो निर्जल द्रव शुष्क परखनली में लेकर उसमें सोडियम धातु का टुकड़ा डालते हैं। तीव्र बुदबुदाहट के साथ हाइड्रोजन गैस निकलने पर एल्कोहॉलिक समूह उपस्थि है।
(३) जैन्थेट और मोलिब्डेट परीक्षण - द्रव की पाँच बूँद में थोड़ा सा ठोस ्यह्र॥ डालकर जल ऊष्मक पर ्यह्र॥ विलेय होने तक गर्म करते है। इसे ठण्डा कर उसमें एक मिली. ईथर एवं आधा मिली. कार्बन डाइसल्फाइड मिलाते है। पीला अवक्षेप प्राप्त होता है तो एल्कोहॉलिक समूह उपस्थित है।
अवक्षेप को छानकर इसमें एक मिली. अमोनियम मोलिब्डेट विलयन तथा तुन ॥ष्टद्य आधिक्य में मिलाने पर लाल या नीला रंग ऐल्किोहॉलिक समूह की पहचान दर्शाता है।
(४) एस्टर परीक्षण - पदार्थ की थोड़ी मात्रा में निर्जल ठोस सोडियम ऐसीटेट तथा दो बूँद सान्द्र ॥२स्ह्र४ डालकर गर्म करते हैं तो फलों जैसी रूचिकर गंध आती है तो ऐल्कोहॉलिक समूह उपस्थित है।
ऐल्कोहॉलिक समूह परीक्षण - ग्राम पदार्थ में अल्प मात्रा में हृड्डहृह्र२ डालने के बाद १ मिली सांद्र ॥२स्ह्र४ मिला कर मिश्रण को हल्का गर्म करते है। हरा, नीला अथवा काला रंग आता है। इस मिश्रण को तनु करने पर यह लाल रंग में परिवर्तित हो जाता है, बाद में हृड्डह्र॥ विलयन द्वारा क्षारीय करने पर पुन: गहरा नीला अथवा हरा रंग प्राप्त होता है।
कार्बोनिल समूह परीक्षण - ऐल्डिहाइड तथा कीटोन दोनों में कार्बोनिल समूह उपस्थित होता है। इसकी पहचान ेक लिए निम्न परीक्षण करते है:
(१) २,४- डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रैजीन परीक्षण : द्रव पदार्थ की पाँच बूँद या ठोस पदार्थ का ऐल्कोहॉलिक विलयन लेकर उसमें एक मिली. २,४-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रैजीन मिलाकर गर्म करते है। पीले अथवा नारंगी अवक्षेप प्राप्त होता है तो कार्बोनिल समूह (ऐल्डिहाइड या कीटोन) उपस्थित है।
एल्डिहाइड समूह के लिए परीक्षण :
(१) फेङ्क्षलग विलयन परीक्षण : फेलिंग विलयन च्एज् एवं फेलिंग विलयन च्बीज् की समान मात्रा मिलाकर दिए गये पदार्थ की थोड़ी मात्रा मिलाकर गर्म करते है। लाल रंग का अवक्षेप प्राप्त होता है तो ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
(२) टॉलेन अभिकर्मक द्वारा परीक्षण : कार्बनिक यौगिक की थोड़ी मात्रा में दो मिली. टॉलेन अभिकर्मक (अमोनिया युक्त सिल्वन नाइट्रेट) मिलाकर गर्म करने पर काले अवक्षेप या परखनली की भीतरी सतह पर रजत दर्पण बनता है तो एल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
(३) शिफ अभिकर्मक परीक्षण : कार्बनिक यौगिक की थोड़ी मात्रा में दो -तीन मिली. शिफ अभिकर्मक डालकर अच्छी तरह से हिलाते है। लाल गुलाबी रंग आता है तो ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
(४) बेन्डिक्ट विलयन द्वारा परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में दो मिली. बेन्डिक्ट विलयन मिलाकर उबालने पर लाल-पीले रंग का अवक्षेप प्राप्त होता है। तो ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
कीटोन समूह के लिए परीक्षण :
(१) मेटा डाइ नाइट्रो बेंजीन परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में थोड़ी मात्रा में मेटा-डाइनाइट्रो बेंजीन मिलाकर इसमें तनु हृड्डह्र॥ विलयन का आधिक्य मिलाने पर लाल या बैंगनी रंग प्राप्त होता है। तो कीटोन उपस्थित है। यह परीक्षण बेन्जोफीनोन नहीं देता है। यह परीक्षण केवल मेथिल कीटोन ही देता है।
(२) सोडियम नाइट्रोप्रुसाइड परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में जलीय सोडियम नाइट्रोप्रुसाइड विलयन तथा हृड्डह्र॥ मिलाने पर मिश्रण का रंग लाल या बैंगनी हो जाता है तो कीटोनिक समूह उपस्थित है।
कुछ ऐल्डिहाइड भी यह परीक्षण देते हैं।
नाइट्रो समूह का परीक्षण :
(१) मुलिकन एवं बार्कर परीक्षण : ०.२ ग्राम कार्बनिक यौगिक को ऐल्किोहॉल की न्यूनतम मात्रा में घोलते हैं और इसमें कैल्सियम क्लोराइड या अमोनियम क्लोराइड के १०त्न विलयन की कुछ बूँदें डालते है। थोडा-सा जस्ता चूर्ण मिलकर मिश्रण को गर्म करते है। ठण्डा कर इसे टॉलेन अभिकर्मक में छान लेते हैं। काला या भूरा अवक्षेप या रजत दर्पण बनता है तो नाइट्र समूह उपस्थित है।
(२) ऐजोरंजक परीक्षण : ०.५ ग्राम कार्बनिक यौगिक में एक ग्राम दानेदार टिन धातु तथा थोड़ी मात्रा में सान्द्र ॥ष्टद्य डालकर तीन-चार मिनट तक उबालते हैं तथा मिश्रण को छान कर ठण्डा कर एक मिली. हृड्डहृह्र२ विलयन मिलाते हैं। इस मिश्रण में -नेफ्थॉल का क्षारीय विलयन मिलाने पर लाल नारंगी रंग का रंजक या अवक्षेप प्राप्त होता है तो नाइट्रो समूह उपस्थित है।
प्राथमिक एमीन का परीक्षण :
(१) कार्बिल ऐमीन परीक्षण : ०.१ ग्राम कार्बनिक यौगिक में दो तीन बूँद क्लोरोफॉर्म तथा एक मिली ऐल्कोहॉलिक ्यह्र॥ विलयन डालकर गर्म करने पर असहनीय अरूचिकर गंध आती है तो प्राथमिक ऐमीनो समूह उपस्थित है।
(१) ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन के लिए रिमिनी परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में २ मिली. जल तथा एक मिली. शुद्ध ऐसीटोन डालकर हिलाते है। इस मिश्रण में १त्न सोडियम नाइट्रोपु्रसाइड विलयन मिलाने पर गहरा लाल या बैंगनी रंग आता है तो ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन उपस्थित है।
(२) ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन के लिए रंजक परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में २ मिली. जल तथा एक मिली. ॥ष्टद्य मिलाकर इसे बर्फ से ठण्डा कर इसमें हृड्डहृह्र२ के ३-५त्न विलयन के २ मिली. -नेफ्थॉल का क्षारीय विलयन मिलाते है। लाल नारंगी अवक्षेप का बनना यौगिक में ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन उपस्थित है।
ऐमिडो समूह परीक्षण :
(१) हृड्डह्र॥ द्वारा परीक्षण : कार्बनिक यौगिक की थोड़ी मात्रा को हृड्डह्र॥ विलयन के साथ गर्म करते हैं। अमोनिया की गंध आती है तो ऐमिडो समूह उपस्थित है।
(२) कार्बनिक यौगिक में तनु ॥ष्टद्य तथा हृड्डहृह्र२ विलयन डालकर हिलाते हैं। तेजी के साथ नाइट्रोजन गैस निकलती है। तो ऐमिडो समूह उपस्थित है।
(३) ऐरोमैटिक ऐमाइड का परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में थोड़ी मात्रा में जल मिलाकर तेजी से हिलाते हैं। अब इस मिश्रण में ८-९ बूँद ५त्न ॥२ह्र२ विलयन डालकर तेजी से गर्म करते हैं। विलयन को ठण्डा करके १-२ बूँदें स्नद्गष्टद्य३ विलयन की डालते हैं। यदि ठण्डे में नीला लाल तथा गरम करने पर भूरा रंग प्राप्त होता है तो ऐरोमैटिक ऐमाइड उपस्थित है।
साधारणतया ष्ट, ॥ और ष्ट,॥ तथा ह्र वाले यौगिक रंगहीन होते है। परन्तु इसके अपवाद भी है। जैसे- श्च -बैंजोक्विनोन, -नेफ्थाक्विनॉन आदि।
ऐरोमैटिक नाइट्रो यौगिक पीले रंग के होते है। जैसे- नाइट्रोबेंजीन तथा पिक्रिक अम्ल।
गंध : कार्बनिक यौगिक की स्वयं की एक विशेष गंध होती है जिसके द्वारा उनको पहचाना जा सकता है। कुछ यौगिकों की विशेष प्रकार की गंध होती है जैसे-
कार्बोलिक गंध : फीनॉल, नेफ्थॉल
मछली की सी गंध : ऐरोमैटिक एमीन
कड़वे बादाम की गंध : नाइट्रोबेंजीन, नाइट्रोटॉलुईन तथा बेंजेल्डिहाइड
सुगंध : मेथिल ऐसीटेट, ऐथिल ऐसीटेट ऐसीटोफीनॉन
सड़े चूहे जैसी गंध : ऐसीटैमाइड
विशिष्ट ऐरोमैटिक गंध : बैंजीन, टॉलुईन
तीक्ष्ण गंध : ऐसीटिक अम्ल, फॉर्मिक अम्ल
विभिन्न विलायकों में विलेयता : कार्बनिक यौगिक की एक विशेष प्रकार के विलायक में विलेयता उसकी पहचान की जानकारी देता है। विलेयता से यौगिक में उपस्थित क्रियात्मक समूह का पता चलता है। कार्बनिक यौगिक की विलेयता को क्रमश: जल, तनु हृड्डह्र॥, तनु जलीय हृड्ड॥ष्टह्र३ तनु ॥ष्टद्य तथा सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल में निर्धारित करते है।
०.१ ग्राम ठोस या ३-४ बूंदे द्रव को एक परखनली में लेकर २.० मिली विलायक के साथ हिलाते है। यदि कार्बनिक यौगिक विलायक में विलेय होता है तो एक पारदर्शी विलयन प्राप्त होता है।
ज्वलन : कार्बनिक यौगिक के ज्वलन से उसकी ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक प्रकृति का पता लगाया जा सकता है। ऐरोमैटिक यौगिक धुंएदार ज्वाला के साथ और ऐलिफटिक यौगिक बिना धुंएदार ज्वाला के साथ जलते है। कुछ ऐरोमैटिक यौगिक जैसे बैंजिल ऐल्कोहॉल धुंएदार ज्वाला के साथ नहीं जलते हैं।
ष्ट एवं ॥ युक्त और ष्ट,॥ एवं ह्र युक्त यौगिक
१. कार्बोक्लिक समूह परीक्षण -
सोडियम बाइकार्बोनेट परीक्षण - ठोस पदार्थ को ०.२ ग्राम मात्रा या द्रव के लगभग ५ मिली में सोडियम बाईकार्बोनेट का ५त्न जलीय विलयन मिला कर गर्म करने पर तेजी से बुदबुदाहट के साथ कार्बन-डाईऑक्साइड गैस निकलती है।
क्रष्टह्रह्र॥ + हृड्डष्ट॥ह्र३ क्रष्टह्रह्रहृड्ड + ष्टह्र२ + ॥२ह्र
नोट : १. यदि कार्बोक्लिक अम्ल गर्म जल में भी अघुलनशील हो तो इस परीक्षण में कठिनाई आती है।
२. कुछ फीलोलिक यौगिक भी कभी-कभी यह परीक्षण देते है।
एस्टर परीक्षण - एक परखनली में ०.१ ग्राम ठोस या २-३ बुँद द्रव लेकर २ बुँद सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल एवं ४-५ बुँद एथिल एल्कोहॉल मिलाते है। मिश्रण को धीरे-धीरे गर्म करते है। बाद में ठण्डा कर इसे थोड़े जल में डाल देते है। फलों जैसे रूचिकर गंध कार्बोक्लिक समूह की पहचान करती है।
क्रष्टह्रह्र॥ + ष्ट२॥५ह्र॥ क्रष्टह्रह्रष्ट२॥५ + ॥२ह्र
फलों जैसी गंध
फिनोलिक समूह का परीक्षण:
सभी फिनोलों में अभिलाक्षणिक गंध होती है।
सभी फीनोल ऐरोमैटिक यौगिक होती है।
सेरिक अमोनियम नाइट्रेट के साथ फीनोल हरा या भूरा अवक्षेप देते है।
फेरिक क्लोराइड परीक्षण- पदार्थ के जलीय अथवा ऐल्कोहॉलिक विलयन में २-३ बूँद उदासीन फेरिक क्लोराइड विलयन डालने पर नीला, बैंगनी, लाल अथवा हरा रंग उत्पन्न होना फीनोलिक समूह की उपस्थिति दर्शाता है।
३ष्ट६॥५ह्र॥+ स्नद्गष्टद्य३ (ष्ट६॥५ह्र३)३स्नद्ग + ३॥ष्टद्य
लिबरमान परीक्षण - ०.१ ग्राम पदार्थ में अल्प मात्रा में हृड्डहृह्र२ डालने के बाद १ मिली सांद्र ॥२स्ह्र४ मिला कर मिश्रण को हल्का गर्म करते है। हरा, नीला अथवा काला रंग आता है। इस मिश्रण को तनु करने पर यह लाल रंग में परिवर्तित हो जाता है, बाद में हृड्डह्र॥ विलयन द्वारा क्षारीय करने पर पुन: गहरा नीला अथवा हरा रंग प्राप्त होता है।
ऐल्कोहॉलिक समूह परीक्षण
(१) सेरिक अमोनियम नाइट्रेट परीक्षण - यौगिक की पाँच-सात बूँद और ठोस होने पर सान्द्र जलीय विलयन में पाँच-सात बूँद सेरिक अमोनियम नाइट्रेट मिला कर मिश्रण को हिलाने पर लाल रंग प्राप्त होता है तो ऐल्कोहॉलिक समूह उपस्थित है।
फिनोल यौगिक इस अभिकर्मक के साथ हरा, नीला या भूरा रंग देते है।
(२) सोडियम धातु के साथ परीक्षण - यदि पदार्थ द्रव हो तो निर्जल द्रव शुष्क परखनली में लेकर उसमें सोडियम धातु का टुकड़ा डालते हैं। तीव्र बुदबुदाहट के साथ हाइड्रोजन गैस निकलने पर एल्कोहॉलिक समूह उपस्थि है।
(३) जैन्थेट और मोलिब्डेट परीक्षण - द्रव की पाँच बूँद में थोड़ा सा ठोस ्यह्र॥ डालकर जल ऊष्मक पर ्यह्र॥ विलेय होने तक गर्म करते है। इसे ठण्डा कर उसमें एक मिली. ईथर एवं आधा मिली. कार्बन डाइसल्फाइड मिलाते है। पीला अवक्षेप प्राप्त होता है तो एल्कोहॉलिक समूह उपस्थित है।
अवक्षेप को छानकर इसमें एक मिली. अमोनियम मोलिब्डेट विलयन तथा तुन ॥ष्टद्य आधिक्य में मिलाने पर लाल या नीला रंग ऐल्किोहॉलिक समूह की पहचान दर्शाता है।
(४) एस्टर परीक्षण - पदार्थ की थोड़ी मात्रा में निर्जल ठोस सोडियम ऐसीटेट तथा दो बूँद सान्द्र ॥२स्ह्र४ डालकर गर्म करते हैं तो फलों जैसी रूचिकर गंध आती है तो ऐल्कोहॉलिक समूह उपस्थित है।
ऐल्कोहॉलिक समूह परीक्षण - ग्राम पदार्थ में अल्प मात्रा में हृड्डहृह्र२ डालने के बाद १ मिली सांद्र ॥२स्ह्र४ मिला कर मिश्रण को हल्का गर्म करते है। हरा, नीला अथवा काला रंग आता है। इस मिश्रण को तनु करने पर यह लाल रंग में परिवर्तित हो जाता है, बाद में हृड्डह्र॥ विलयन द्वारा क्षारीय करने पर पुन: गहरा नीला अथवा हरा रंग प्राप्त होता है।
कार्बोनिल समूह परीक्षण - ऐल्डिहाइड तथा कीटोन दोनों में कार्बोनिल समूह उपस्थित होता है। इसकी पहचान ेक लिए निम्न परीक्षण करते है:
(१) २,४- डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रैजीन परीक्षण : द्रव पदार्थ की पाँच बूँद या ठोस पदार्थ का ऐल्कोहॉलिक विलयन लेकर उसमें एक मिली. २,४-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रैजीन मिलाकर गर्म करते है। पीले अथवा नारंगी अवक्षेप प्राप्त होता है तो कार्बोनिल समूह (ऐल्डिहाइड या कीटोन) उपस्थित है।
एल्डिहाइड समूह के लिए परीक्षण :
(१) फेङ्क्षलग विलयन परीक्षण : फेलिंग विलयन च्एज् एवं फेलिंग विलयन च्बीज् की समान मात्रा मिलाकर दिए गये पदार्थ की थोड़ी मात्रा मिलाकर गर्म करते है। लाल रंग का अवक्षेप प्राप्त होता है तो ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
(२) टॉलेन अभिकर्मक द्वारा परीक्षण : कार्बनिक यौगिक की थोड़ी मात्रा में दो मिली. टॉलेन अभिकर्मक (अमोनिया युक्त सिल्वन नाइट्रेट) मिलाकर गर्म करने पर काले अवक्षेप या परखनली की भीतरी सतह पर रजत दर्पण बनता है तो एल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
(३) शिफ अभिकर्मक परीक्षण : कार्बनिक यौगिक की थोड़ी मात्रा में दो -तीन मिली. शिफ अभिकर्मक डालकर अच्छी तरह से हिलाते है। लाल गुलाबी रंग आता है तो ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
(४) बेन्डिक्ट विलयन द्वारा परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में दो मिली. बेन्डिक्ट विलयन मिलाकर उबालने पर लाल-पीले रंग का अवक्षेप प्राप्त होता है। तो ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
कीटोन समूह के लिए परीक्षण :
(१) मेटा डाइ नाइट्रो बेंजीन परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में थोड़ी मात्रा में मेटा-डाइनाइट्रो बेंजीन मिलाकर इसमें तनु हृड्डह्र॥ विलयन का आधिक्य मिलाने पर लाल या बैंगनी रंग प्राप्त होता है। तो कीटोन उपस्थित है। यह परीक्षण बेन्जोफीनोन नहीं देता है। यह परीक्षण केवल मेथिल कीटोन ही देता है।
(२) सोडियम नाइट्रोप्रुसाइड परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में जलीय सोडियम नाइट्रोप्रुसाइड विलयन तथा हृड्डह्र॥ मिलाने पर मिश्रण का रंग लाल या बैंगनी हो जाता है तो कीटोनिक समूह उपस्थित है।
कुछ ऐल्डिहाइड भी यह परीक्षण देते हैं।
नाइट्रो समूह का परीक्षण :
(१) मुलिकन एवं बार्कर परीक्षण : ०.२ ग्राम कार्बनिक यौगिक को ऐल्किोहॉल की न्यूनतम मात्रा में घोलते हैं और इसमें कैल्सियम क्लोराइड या अमोनियम क्लोराइड के १०त्न विलयन की कुछ बूँदें डालते है। थोडा-सा जस्ता चूर्ण मिलकर मिश्रण को गर्म करते है। ठण्डा कर इसे टॉलेन अभिकर्मक में छान लेते हैं। काला या भूरा अवक्षेप या रजत दर्पण बनता है तो नाइट्र समूह उपस्थित है।
(२) ऐजोरंजक परीक्षण : ०.५ ग्राम कार्बनिक यौगिक में एक ग्राम दानेदार टिन धातु तथा थोड़ी मात्रा में सान्द्र ॥ष्टद्य डालकर तीन-चार मिनट तक उबालते हैं तथा मिश्रण को छान कर ठण्डा कर एक मिली. हृड्डहृह्र२ विलयन मिलाते हैं। इस मिश्रण में -नेफ्थॉल का क्षारीय विलयन मिलाने पर लाल नारंगी रंग का रंजक या अवक्षेप प्राप्त होता है तो नाइट्रो समूह उपस्थित है।
प्राथमिक एमीन का परीक्षण :
(१) कार्बिल ऐमीन परीक्षण : ०.१ ग्राम कार्बनिक यौगिक में दो तीन बूँद क्लोरोफॉर्म तथा एक मिली ऐल्कोहॉलिक ्यह्र॥ विलयन डालकर गर्म करने पर असहनीय अरूचिकर गंध आती है तो प्राथमिक ऐमीनो समूह उपस्थित है।
(१) ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन के लिए रिमिनी परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में २ मिली. जल तथा एक मिली. शुद्ध ऐसीटोन डालकर हिलाते है। इस मिश्रण में १त्न सोडियम नाइट्रोपु्रसाइड विलयन मिलाने पर गहरा लाल या बैंगनी रंग आता है तो ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन उपस्थित है।
(२) ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन के लिए रंजक परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में २ मिली. जल तथा एक मिली. ॥ष्टद्य मिलाकर इसे बर्फ से ठण्डा कर इसमें हृड्डहृह्र२ के ३-५त्न विलयन के २ मिली. -नेफ्थॉल का क्षारीय विलयन मिलाते है। लाल नारंगी अवक्षेप का बनना यौगिक में ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन उपस्थित है।
ऐमिडो समूह परीक्षण :
(१) हृड्डह्र॥ द्वारा परीक्षण : कार्बनिक यौगिक की थोड़ी मात्रा को हृड्डह्र॥ विलयन के साथ गर्म करते हैं। अमोनिया की गंध आती है तो ऐमिडो समूह उपस्थित है।
(२) कार्बनिक यौगिक में तनु ॥ष्टद्य तथा हृड्डहृह्र२ विलयन डालकर हिलाते हैं। तेजी के साथ नाइट्रोजन गैस निकलती है। तो ऐमिडो समूह उपस्थित है।
(३) ऐरोमैटिक ऐमाइड का परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में थोड़ी मात्रा में जल मिलाकर तेजी से हिलाते हैं। अब इस मिश्रण में ८-९ बूँद ५त्न ॥२ह्र२ विलयन डालकर तेजी से गर्म करते हैं। विलयन को ठण्डा करके १-२ बूँदें स्नद्गष्टद्य३ विलयन की डालते हैं। यदि ठण्डे में नीला लाल तथा गरम करने पर भूरा रंग प्राप्त होता है तो ऐरोमैटिक ऐमाइड उपस्थित है।
क्रियात्मक समूह के परीक्षण
परिचय : कार्बनिक यौगिकों के क्रियात्मक समूह को सुव्यवस्थित ढंग से पहचानने के लिए निम्न पद प्रयुक्त किये जाते है
१. प्रारम्भिक परीक्षण
२. तत्वों का परीक्षण
३. क्रियात्मक समूहों का परीक्षण
प्रारम्भिक परीक्षण : प्रारम्भिक परीक्षण में यौगिक के भौतिक गुणों जैसे - अवस्था, रंग, गंध , विभिन्न विलायकों में विलेयता, ज्वलन तथा गलनांक तथा क्वथनांक से है।
भौतिक अवस्था: कार्बनिक यौगिक की भौतिक अवस्था का ज्ञान बहुत ही आवश्यक है। इसके अन्र्तगत यह ज्ञात किया जाता है कि यौगिक ठोस है या द्रव। यदि ठोस है तो क्रिस्टलीय है या अक्रिस्टलीय। द्रव है तो गाढ़ा है या पतला।
रंग : कार्बनिक यौगिक का रंग कभी-कभी उसकी प्रकृतिका बोध कराता है। रंग यौगिक की संरचना से सम्बधित होता है। यौगिक में कुछ निश्चित क्रोमोफोरिक समूह होने पर से रंग प्रदर्शित करते है। कुछ क्रोमोफोरिक समूह जिनके कारण कार्बनिक यौगिक रंगीन होते है, वे इस प्रकार है-
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कार्बनिक यौगिक अशुद्धि के कारण भी रंगीन हो जाते है। जैसे- ऐनिलीन तथा फीनोल शुद्ध अवस्था में रंगहीन होते है परन्तु वायु के सम्पर्क में क्रमश: लाल तथा गुलाबी रंग के हो जाते है।
साधारणतया ष्ट, ॥ और ष्ट,॥ तथा ह्र वाले यौगिक रंगहीन होते है। परन्तु इसके अपवाद भी है। जैसे- श्च -बैंजोक्विनोन, -नेफ्थाक्विनॉन आदि।
ऐरोमैटिक नाइट्रो यौगिक पीले रंग के होते है। जैसे- नाइट्रोबेंजीन तथा पिक्रिक अम्ल।
गंध : कार्बनिक यौगिक की स्वयं की एक विशेष गंध होती है जिसके द्वारा उनको पहचाना जा सकता है। कुछ यौगिकों की विशेष प्रकार की गंध होती है जैसे-
कार्बोलिक गंध : फीनॉल, नेफ्थॉल
मछली की सी गंध : ऐरोमैटिक एमीन
कड़वे बादाम की गंध : नाइट्रोबेंजीन, नाइट्रोटॉलुईन तथा बेंजेल्डिहाइड
सुगंध : मेथिल ऐसीटेट, ऐथिल ऐसीटेट ऐसीटोफीनॉन
सड़े चूहे जैसी गंध : ऐसीटैमाइड
विशिष्ट ऐरोमैटिक गंध : बैंजीन, टॉलुईन
तीक्ष्ण गंध : ऐसीटिक अम्ल, फॉर्मिक अम्ल
विभिन्न विलायकों में विलेयता : कार्बनिक यौगिक की एक विशेष प्रकार के विलायक में विलेयता उसकी पहचान की जानकारी देता है। विलेयता से यौगिक में उपस्थित क्रियात्मक समूह का पता चलता है। कार्बनिक यौगिक की विलेयता को क्रमश: जल, तनु हृड्डह्र॥, तनु जलीय हृड्ड॥ष्टह्र३ तनु ॥ष्टद्य तथा सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल में निर्धारित करते है।
०.१ ग्राम ठोस या ३-४ बूंदे द्रव को एक परखनली में लेकर २.० मिली विलायक के साथ हिलाते है। यदि कार्बनिक यौगिक विलायक में विलेय होता है तो एक पारदर्शी विलयन प्राप्त होता है।
ज्वलन : कार्बनिक यौगिक के ज्वलन से उसकी ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक प्रकृति का पता लगाया जा सकता है। ऐरोमैटिक यौगिक धुंएदार ज्वाला के साथ और ऐलिफटिक यौगिक बिना धुंएदार ज्वाला के साथ जलते है। कुछ ऐरोमैटिक यौगिक जैसे बैंजिल ऐल्कोहॉल धुंएदार ज्वाला के साथ नहीं जलते हैं।
ष्ट एवं ॥ युक्त और ष्ट,॥ एवं ह्र युक्त यौगिक
१. कार्बोक्लिक समूह परीक्षण -
सोडियम बाइकार्बोनेट परीक्षण - ठोस पदार्थ को ०.२ ग्राम मात्रा या द्रव के लगभग ५ मिली में सोडियम बाईकार्बोनेट का ५त्न जलीय विलयन मिला कर गर्म करने पर तेजी से बुदबुदाहट के साथ कार्बन-डाईऑक्साइड गैस निकलती है।
क्रष्टह्रह्र॥ + हृड्डष्ट॥ह्र३ क्रष्टह्रह्रहृड्ड + ष्टह्र२ + ॥२ह्र
नोट : १. यदि कार्बोक्लिक अम्ल गर्म जल में भी अघुलनशील हो तो इस परीक्षण में कठिनाई आती है।
२. कुछ फीलोलिक यौगिक भी कभी-कभी यह परीक्षण देते है।
एस्टर परीक्षण - एक परखनली में ०.१ ग्राम ठोस या २-३ बुँद द्रव लेकर २ बुँद सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल एवं ४-५ बुँद एथिल एल्कोहॉल मिलाते है। मिश्रण को धीरे-धीरे गर्म करते है। बाद में ठण्डा कर इसे थोड़े जल में डाल देते है। फलों जैसे रूचिकर गंध कार्बोक्लिक समूह की पहचान करती है।
क्रष्टह्रह्र॥ + ष्ट२॥५ह्र॥ क्रष्टह्रह्रष्ट२॥५ + ॥२ह्र
फलों जैसी गंध
फिनोलिक समूह का परीक्षण:
सभी फिनोलों में अभिलाक्षणिक गंध होती है।
सभी फीनोल ऐरोमैटिक यौगिक होती है।
सेरिक अमोनियम नाइट्रेट के साथ फीनोल हरा या भूरा अवक्षेप देते है।
फेरिक क्लोराइड परीक्षण- पदार्थ के जलीय अथवा ऐल्कोहॉलिक विलयन में २-३ बूँद उदासीन फेरिक क्लोराइड विलयन डालने पर नीला, बैंगनी, लाल अथवा हरा रंग उत्पन्न होना फीनोलिक समूह की उपस्थिति दर्शाता है।
३ष्ट६॥५ह्र॥+ स्नद्गष्टद्य३ (ष्ट६॥५ह्र३)३स्नद्ग + ३॥ष्टद्य
लिबरमान परीक्षण - ०.१ ग्राम पदार्थ में अल्प मात्रा में हृड्डहृह्र२ डालने के बाद १ मिली सांद्र ॥२स्ह्र४ मिला कर मिश्रण को हल्का गर्म करते है। हरा, नीला अथवा काला रंग आता है। इस मिश्रण को तनु करने पर यह लाल रंग में परिवर्तित हो जाता है, बाद में हृड्डह्र॥ विलयन द्वारा क्षारीय करने पर पुन: गहरा नीला अथवा हरा रंग प्राप्त होता है।
ऐल्कोहॉलिक समूह परीक्षण
(१) सेरिक अमोनियम नाइट्रेट परीक्षण - यौगिक की पाँच-सात बूँद और ठोस होने पर सान्द्र जलीय विलयन में पाँच-सात बूँद सेरिक अमोनियम नाइट्रेट मिला कर मिश्रण को हिलाने पर लाल रंग प्राप्त होता है तो ऐल्कोहॉलिक समूह उपस्थित है।
फिनोल यौगिक इस अभिकर्मक के साथ हरा, नीला या भूरा रंग देते है।
(२) सोडियम धातु के साथ परीक्षण - यदि पदार्थ द्रव हो तो निर्जल द्रव शुष्क परखनली में लेकर उसमें सोडियम धातु का टुकड़ा डालते हैं। तीव्र बुदबुदाहट के साथ हाइड्रोजन गैस निकलने पर एल्कोहॉलिक समूह उपस्थि है।
(३) जैन्थेट और मोलिब्डेट परीक्षण - द्रव की पाँच बूँद में थोड़ा सा ठोस ्यह्र॥ डालकर जल ऊष्मक पर ्यह्र॥ विलेय होने तक गर्म करते है। इसे ठण्डा कर उसमें एक मिली. ईथर एवं आधा मिली. कार्बन डाइसल्फाइड मिलाते है। पीला अवक्षेप प्राप्त होता है तो एल्कोहॉलिक समूह उपस्थित है।
अवक्षेप को छानकर इसमें एक मिली. अमोनियम मोलिब्डेट विलयन तथा तुन ॥ष्टद्य आधिक्य में मिलाने पर लाल या नीला रंग ऐल्किोहॉलिक समूह की पहचान दर्शाता है।
(४) एस्टर परीक्षण - पदार्थ की थोड़ी मात्रा में निर्जल ठोस सोडियम ऐसीटेट तथा दो बूँद सान्द्र ॥२स्ह्र४ डालकर गर्म करते हैं तो फलों जैसी रूचिकर गंध आती है तो ऐल्कोहॉलिक समूह उपस्थित है।
ऐल्कोहॉलिक समूह परीक्षण - ग्राम पदार्थ में अल्प मात्रा में हृड्डहृह्र२ डालने के बाद १ मिली सांद्र ॥२स्ह्र४ मिला कर मिश्रण को हल्का गर्म करते है। हरा, नीला अथवा काला रंग आता है। इस मिश्रण को तनु करने पर यह लाल रंग में परिवर्तित हो जाता है, बाद में हृड्डह्र॥ विलयन द्वारा क्षारीय करने पर पुन: गहरा नीला अथवा हरा रंग प्राप्त होता है।
कार्बोनिल समूह परीक्षण - ऐल्डिहाइड तथा कीटोन दोनों में कार्बोनिल समूह उपस्थित होता है। इसकी पहचान ेक लिए निम्न परीक्षण करते है:
(१) २,४- डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रैजीन परीक्षण : द्रव पदार्थ की पाँच बूँद या ठोस पदार्थ का ऐल्कोहॉलिक विलयन लेकर उसमें एक मिली. २,४-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रैजीन मिलाकर गर्म करते है। पीले अथवा नारंगी अवक्षेप प्राप्त होता है तो कार्बोनिल समूह (ऐल्डिहाइड या कीटोन) उपस्थित है।
एल्डिहाइड समूह के लिए परीक्षण :
(१) फेङ्क्षलग विलयन परीक्षण : फेलिंग विलयन च्एज् एवं फेलिंग विलयन च्बीज् की समान मात्रा मिलाकर दिए गये पदार्थ की थोड़ी मात्रा मिलाकर गर्म करते है। लाल रंग का अवक्षेप प्राप्त होता है तो ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
(२) टॉलेन अभिकर्मक द्वारा परीक्षण : कार्बनिक यौगिक की थोड़ी मात्रा में दो मिली. टॉलेन अभिकर्मक (अमोनिया युक्त सिल्वन नाइट्रेट) मिलाकर गर्म करने पर काले अवक्षेप या परखनली की भीतरी सतह पर रजत दर्पण बनता है तो एल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
(३) शिफ अभिकर्मक परीक्षण : कार्बनिक यौगिक की थोड़ी मात्रा में दो -तीन मिली. शिफ अभिकर्मक डालकर अच्छी तरह से हिलाते है। लाल गुलाबी रंग आता है तो ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
(४) बेन्डिक्ट विलयन द्वारा परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में दो मिली. बेन्डिक्ट विलयन मिलाकर उबालने पर लाल-पीले रंग का अवक्षेप प्राप्त होता है। तो ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
कीटोन समूह के लिए परीक्षण :
(१) मेटा डाइ नाइट्रो बेंजीन परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में थोड़ी मात्रा में मेटा-डाइनाइट्रो बेंजीन मिलाकर इसमें तनु हृड्डह्र॥ विलयन का आधिक्य मिलाने पर लाल या बैंगनी रंग प्राप्त होता है। तो कीटोन उपस्थित है। यह परीक्षण बेन्जोफीनोन नहीं देता है। यह परीक्षण केवल मेथिल कीटोन ही देता है।
(२) सोडियम नाइट्रोप्रुसाइड परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में जलीय सोडियम नाइट्रोप्रुसाइड विलयन तथा हृड्डह्र॥ मिलाने पर मिश्रण का रंग लाल या बैंगनी हो जाता है तो कीटोनिक समूह उपस्थित है।
कुछ ऐल्डिहाइड भी यह परीक्षण देते हैं।
नाइट्रो समूह का परीक्षण :
(१) मुलिकन एवं बार्कर परीक्षण : ०.२ ग्राम कार्बनिक यौगिक को ऐल्किोहॉल की न्यूनतम मात्रा में घोलते हैं और इसमें कैल्सियम क्लोराइड या अमोनियम क्लोराइड के १०त्न विलयन की कुछ बूँदें डालते है। थोडा-सा जस्ता चूर्ण मिलकर मिश्रण को गर्म करते है। ठण्डा कर इसे टॉलेन अभिकर्मक में छान लेते हैं। काला या भूरा अवक्षेप या रजत दर्पण बनता है तो नाइट्र समूह उपस्थित है।
(२) ऐजोरंजक परीक्षण : ०.५ ग्राम कार्बनिक यौगिक में एक ग्राम दानेदार टिन धातु तथा थोड़ी मात्रा में सान्द्र ॥ष्टद्य डालकर तीन-चार मिनट तक उबालते हैं तथा मिश्रण को छान कर ठण्डा कर एक मिली. हृड्डहृह्र२ विलयन मिलाते हैं। इस मिश्रण में -नेफ्थॉल का क्षारीय विलयन मिलाने पर लाल नारंगी रंग का रंजक या अवक्षेप प्राप्त होता है तो नाइट्रो समूह उपस्थित है।
प्राथमिक एमीन का परीक्षण :
(१) कार्बिल ऐमीन परीक्षण : ०.१ ग्राम कार्बनिक यौगिक में दो तीन बूँद क्लोरोफॉर्म तथा एक मिली ऐल्कोहॉलिक ्यह्र॥ विलयन डालकर गर्म करने पर असहनीय अरूचिकर गंध आती है तो प्राथमिक ऐमीनो समूह उपस्थित है।
(१) ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन के लिए रिमिनी परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में २ मिली. जल तथा एक मिली. शुद्ध ऐसीटोन डालकर हिलाते है। इस मिश्रण में १त्न सोडियम नाइट्रोपु्रसाइड विलयन मिलाने पर गहरा लाल या बैंगनी रंग आता है तो ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन उपस्थित है।
(२) ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन के लिए रंजक परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में २ मिली. जल तथा एक मिली. ॥ष्टद्य मिलाकर इसे बर्फ से ठण्डा कर इसमें हृड्डहृह्र२ के ३-५त्न विलयन के २ मिली. -नेफ्थॉल का क्षारीय विलयन मिलाते है। लाल नारंगी अवक्षेप का बनना यौगिक में ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन उपस्थित है।
ऐमिडो समूह परीक्षण :
(१) हृड्डह्र॥ द्वारा परीक्षण : कार्बनिक यौगिक की थोड़ी मात्रा को हृड्डह्र॥ विलयन के साथ गर्म करते हैं। अमोनिया की गंध आती है तो ऐमिडो समूह उपस्थित है।
(२) कार्बनिक यौगिक में तनु ॥ष्टद्य तथा हृड्डहृह्र२ विलयन डालकर हिलाते हैं। तेजी के साथ नाइट्रोजन गैस निकलती है। तो ऐमिडो समूह उपस्थित है।
(३) ऐरोमैटिक ऐमाइड का परीक्षण : कार्बनिक यौगिक में थोड़ी मात्रा में जल मिलाकर तेजी से हिलाते हैं। अब इस मिश्रण में ८-९ बूँद ५त्न ॥२ह्र२ विलयन डालकर तेजी से गर्म करते हैं। विलयन को ठण्डा करके १-२ बूँदें स्नद्गष्टद्य३ विलयन की डालते हैं। यदि ठण्डे में नीला लाल तथा गरम करने पर भूरा रंग प्राप्त होता है तो ऐरोमैटिक ऐमाइड उपस्थित है।