SCIENCE X IMPORTANT QUESTION OF CLASS X CHEPTER 12

VIGYAN
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अध्याय - १२ प्रमुख प्राकृतिक संसाधन

अतिलघुरात्तम प्रश्न
प्र.१. प्राकृतिक संसाधन किसे कहते है?
उत्तर. प्रकृति से प्राप्त तथा बिना किसी बदलाव के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष से हमारे दैनिक जीवन में उपयोग आने वाली हर वस्तु प्राकृतिक संसाधन कहलाती है।
प्र.२. प्राकृतिक संसाधन कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर.  प्राकृतिक संसाधन भागों में बाँटे जाते है-
      विकास एवं प्रयोग के आधार पर प्राकृतिक संंसाधन दो स्तरों में बाँटा जाता है।
      वास्तविक संसाधन - ये संसाधन या समूह जिनकी संरचना या मात्रा हमें ज्ञात है और जिनका हम उपयोग कर रहे हैं।
      संभाव्य संसाधन - वे संसाधन जिनका उपयोग हम आने वाले समय में कर सकते हैं।
      उत्पति के आधार पर प्राकृतिक संसाधन को दो भागों में बाँट सकते है।
      जैव संसाधन - सजीव वस्तुएँ जैव संसाधन कहलाती है।
      अजैव संसाधन - जो वस्तुएँ निर्जीव है अजैव संसाधन कहलाती है।
      वितरण के आधार पर संसाधन को दो भागों में बाँट सकते हैं।
      सर्वव्यापक -जो वस्तुएँ सभी जगह मिल जाती है और आसानी से उपलब्ध होती है। सर्वव्यापक संसाधन
      कहलाती है।
      स्थानिक संसाधन - जो वस्तुएँ कुछ विशेष स्थानों पर ही पायी जाती है स्थानिक संसाधन कहलाते हैं।
प्र.३. नवीकरणीय और अनवीकरणीय संसाधन किसे कहते है?
उत्तर  नवीकरणीय संसाधन - वे वस्तुएँ जिनका निर्माण व प्रयोग दुबारा किया जा सकता है नवीकरणीय संसाधन कहते हैं जैसे पावन ऊर्जा, सौर ऊर्जा।
      अनवीकरणीय संसाधन - वे वस्तुएँ जिनका भंडार सीमित होता है तथा जिनके निर्माण होने की आशा नहीं होती है। या निर्माण होने में बहुत समय लगता है। अनवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं। जैसे- पेट्रोलयिम, प्राकृतिक गैस।
प्र.४. प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर.   प्राकृतिक संपदाओं का योजनाबद्ध, न्यायसंगत और विवेकपूर्ण उपयोग प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण कहलाता है। प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से अविवेकपूर्ण , गलत व विनाशकारी ढंग से उपयोग करने से प्राकृतिक संसाधनों का सन्तुलन नष्ट हो सकता है। यदि यह संतुलन नष्ट हो जायेगा तो मानव का अस्तित्व एवं प्रगति भी खतरे में पड़ जाएगी। अत: मानव का अस्तित्व एवं प्रगति के लिए प्राकृतिक संसाधनो का संरक्षण आवश्यक है।
प्र.५. वन संरक्षण हेतु कौन कौनसे उपाय अपनाने चाहिए।
उत्तर.   वन संरक्षण हेतु निम्न उपाय अपनाने चाहिए।
      १. वनों की पोषणीय सीमा तक ही कटाई करनी चाहिए। वन काटने व वृक्षारोपण की दरों का में समान अनुपात होना चाहिए।
      २. वनों को हानिकारक कीटों से दवा छिडककर तथा रोग ग्रस्त वृक्ष को हटाकर रक्षा करनी चाहिए।
      ३. वनों की कटाई को रोकने के लिए ईंधन व इमारती लकड़ी के नवीन वैकल्पिक स्त्रोतों को काम में लिया जाना चाहिए।
      ४. बाँधों एवं बहुउद्देशीय योजनाओं को बनाते समय वन संसाधन संरक्षण का ध्यान रखना चाहिए।
      ५. वनों के महत्व के बारे में जनचेतना जागृत करनी चाहिए।
      ६. कृषि एवं आवास हेतु वन भूमि के उन्मूलन एवं झूम कृषि पर रोक लगानी चाहिए।
      ७. सामाजिक वानिकी को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए।
      ८. वन संरक्षण कानून का कड़ाई से पालन करना चाहिए।
प्र.६. सामाजिक वानिकी के प्रमुख घटक लिखिए।
उत्तर.  सामाजिक वानिकी के तीन प्रमुख घटक है-
      १. कृषि वानिकी
      २. वन विभाग द्वारा नहरों, सड़कों, अस्पताल आदि सार्वजनिक स्थानों पर सामुदायिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वृक्षारोपण करना।
      ३. ग्रामिणों द्वारा सार्वजनिक भूमि पर वृक्षारोपण करना।
प्र.७. वन्यजीव क्या है?
उत्तर.  सामान्य अर्थ मं वन्यजीव उन जीव-जन्तुओं के लिए प्रयुक्त होता है जो प्राकृतिक आवास में निवास करते हैं जैसे हाथी, शेर, हिरण आदि। परन्तु व्यापक अर्थ में प्रकृति में पाये जाने वाले सभी जीव-जन्तु एवं पेड़-पौधों की जातियाँ वन्यजीव कहलाती है।
प्र.९. वन्यजीव विलुप्त होने के कारण लिखिए।
उत्तर. वन्यजीव विलुप्त होने के कारण निम्न है-
      १. प्राकृतिक आवास का नष्ट होना।
      २. जनसंख्या वृद्धि
      ३. वृहद जल परियोजना।
      ४. जंगलों का अत्याधिक उपयोग।
      ५. ग्रीन हाउस प्रभाव।
      ६. वन्यजीवों का अवैध शिकार।
      ७. प्रदूषण
      ८. मानव एवं वन्य जीवों में संघर्ष
      ९. प्राकृतिक, आनुवांशिक एवं मानव जनित कारण।
प्र.१०. ढ्ढष्टहृ क्या है? इसका पूरा नाम लिखिए।
उत्तर. विश्व व्यापी चेतना क कारण १९८४ में प्रकृति संरक्षण के लिए एक अंतराष्ट्रीय संस्था ढ्ढष्टहृ का गठन किया गया। जिसके द्वारा विलुप्ती के कगार पर पहुँच गई जातियों को एक पुस्तक में संकलित किया गया जिसे लाल आंकड़ा (क्रद्गस्र स्रड्डह्लड्ड ड्ढशशद्म) पुस्तिका कहते है।
      ढ्ढष्टहृ का पूरा नाम -(ढ्ढठ्ठह्लद्गह्म्ठ्ठड्डह्लद्बशठ्ठड्डद्य ह्वठ्ठद्बशठ्ठ द्घशह्म् ष्शठ्ठह्यद्गह्म्१ड्डह्लद्बशठ्ठ शद्घ ठ्ठड्डह्लह्वह्म्द्ग)
प्र.११. ढ्ढष्टहृ में कितनी जातियों को परिभाषित किया गया जिनको संरक्षण प्रदान करना है।
उत्तर.  ढ्ढष्टहृ में निम्न पाँच जातियों को परिभाषित किया गया जिन्हें संरक्षण प्रदान करना है-
      १. विलुप्त जातियाँ - वे जातियाँ जो संसार से विलुप्त हो गयी है तथा जीवित नहीं है। जैसे डायनासोर, रायनिया आदि।
      २. संकटग्रस्त जातियाँ - वे जातियाँ जिनके संरक्षण के उपाय नहीं किये गये तो निकट भविष्य में समाप्त हो जाएगी। जैसे- गैण्डा, बब्बर शेर, बघेरा, गोडावन आदि।
      ३. सभेदय जातियाँ - वे जातियाँ जो शीघ्र ही संकटग्रस्त होने वाली है।
      ४. दुलर्भ जातियाँ - वे जातियाँ जिनकी संख्या विश्व में बहुत कम है तथा शीघ्र ही संकटग्रस्त होने वाली है। जैसे - हिमालयन भालू, पान्डा आदि।
      ५. अपार्याप्त ज्ञात जातियाँ - वे जातियाँ जो पृथ्वी पर है किन्तु इनके वितरण के बारे में प्रर्याप्त ज्ञान नहीं है।
प्र.१२. राष्ट्रीय उद्यान किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों के नाम लिखिए।
उत्तर.   राष्ट्रीय उद्यान - वे प्राकृतिक क्षेत्र है जहाँ पर पर्यावरण के साथ-साथ वन्य जीवों एवं प्राकृतिक अवशेषों का संरक्षण किया जाता है। इनमें पालतू पशुओं की चराई पर पूर्ण प्रतिबन्ध होता है। इनका नियंत्रण प्रबंधन एवं नीति निधार्रण केन्द्र सरकार करती है।
प्र.१२. अभयारण्य किसे कहते हैं? राजस्थान के वन्यजीव अभयारण्य एवं प्रमुख वन्यजीव की सारणी बनाइए।
उत्तर.  अभयारण्य - वे संरक्षित क्षेत्र जहाँ वन्यजीवों के शिकार एवं आखेट पर पूर्ण प्रतिबंध होता है। इनमें निजी संस्थाओं को उसी स्थिति में प्रवेश की अनुमति दी जाती है जब उनके क्रियाकलाप रचनात्मक हो और इससे किसी वन्य जीव को कोई हानि नही हो।
      भारत में स्थित कुछ अभयारण्य इस प्रकार है।
      नार्गाजुन सागर -आन्ध्रप्रदेश, हजारीबाग - बिहार, नाल सरोवर - गुजरात, मनाली - हिमाचल प्रदेश, चन्द्रप्रभा- उत्तरप्रदेश, केदारनाथ-उत्तरांचल।
प्र.१३. बायोस्फियर रिर्जव या जीवमण्डल निचय से आप क्या समझते हैं? भारत के प्रथम बायोस्फिर रिर्जव कौन सा है। भारत के प्रमुख जीवमण्डल निचय के नाम लिखिए।
उत्तर.   जीवमण्डल निचय - ये वे प्राकृतिक क्षेत्र है जो वैज्ञानिक अध्ययन के लिए शांत क्षेत्र घोषित है।
      भारत में प्रथम जीवमण्डल निचय १९८६ में नीलगिरी में अस्तित्व में आया।
प्र.१४. जल संरक्षण एवं प्रबन्ध के तीन महत्वपूर्ण सिद्धांत बताइए।
उत्तर.  जल संरक्षण व प्रबन्धन के तीन महत्वपूर्ण सिद्धान्त निम्न है-
      १. जल की उपलब्धता बनाए रखना।
      २. जल को प्रदूषित होने से बचाना।
      ३. संदूषित जल को स्वच्छ करके उसका पुनर्चक्रण करना।
प्र.१५. जल संरक्षण हेतु कौन-कौनसे उपाय अपनाने चाहिए।
उत्तर.  जल संरक्षण हेतु निम्न उपाय अपनाने चाहिए-
१.   जल को बहुमूल्य राष्ट्रीय सम्पदा घोषित कर उसका समुचित नियोजन किया जाना चाहिए।
२.   वर्षा जल संग्रहण विधियों द्वारा जल का संग्रहण किया जाना चाहिए।
३.   भू-जल का अति दोहन नहीं किया जाना चाहिए।
४.   जल केा प्रदूषित होने से रोकना चाहिए।
५.   जल को पुनर्चक्रित कर काम में लेना चाहिए।
६.   घरेलू उपयोग में जल की बर्बादी रोकनी चाहिए।
७.   बाढ नियंत्रण व जल के समुचित उपयोग के लिए नदियों को परस्पर जोड़ा जाना चाहिए।
८.   सिंचाई फव्वारा विधि या बूँद-बूँद विधि से करनी चाहिए।
प्र.१६. राजस्थान में जल संग्रहण की प्रचलित विधियाँ कौन सी है?
उत्तर. राजस्थान में जल संग्रहण की प्रचलित विधियाँ निम्न है-
१.   खड़ीन
२.   तालाब
३.   झील
४.   बावडी
५.   टोबा
प्र.१७. जीवाश्म ईंधन के नाम लिखिए। प्राकृतिक कोयले का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर. जीवाश्म ईंधन कोयला व पेट्रॉल है। ये अनवीकरणीय संसाधन है।
      लगभग ३० करोड वर्ष पहले पृथ्वी घने जंगलों, कच्छक्षेत्रों औरजल धाराओं से तर थी। कालान्तर में वनस्पति समूह की जल में गिरकर मृत्यु हो गयी जो बाद में मिट्टी की परतों के नीचे दबते चले गए। भूगर्भ के उच्च ताप व दाब के कारण इन जीवों के अवशेष कोयले में बदल गये।
प्र.१८. कोयले के विभिन्न प्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर कार्बन की प्रतिशत मात्रा के आधार पर कोयले को निम्न चार प्रकारों में विभाजित किया गया है-
१.   एन्थ्रेसाइट
२.   बिटूमिनस
३.   लिग्नाईटस
४.   पीट
प्र.१९. बायोडीजल क्या है? इसकी विशेषता लिखिए।
उत्तर.बायोडीजल जैविक स्त्रोतों से प्राप्त तथा डीजल के समान ईंधन है। यह परम्परागत ईंधनों का एक विकल्प है।
      बायोडीजल की विशेषता - यह विषैला नहीं होता है तथा जैव-निम्नीकरणीय है। यह दूसरे जीवाश्म ईंधन की तरह पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं है।
प्र.२०. चिपको आन्दोलन का आरम्भ कहाँ से हुआ। राजस्थान के कल्पवृक्ष के रूप में कौन सा वृक्ष है इसका वैज्ञानिक नाम लिखिए।
उत्तर. चिपको आन्दोलन का आरम्भ राजस्थान के जोधपुर जिले के खेजड़ली गाँव से हुआ था।
      खेजड़ी को थार का कल्पवृक्ष है इसका वैज्ञानिक नाम प्रोसोपिस सिनेरेरिया है। १९८३ में इसे राजस्थान का राज्य वृक्ष घोषित किया गया।

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