अध्याय - ३ आनुवंशि·ी
अतिलघुरात्तम प्रश्न
प्र.१. आनुवंशि·ी ·ो परिभाषित ·ीजिए।
उत्तर. जीव विज्ञान ·ी वह शाखा जिसमें सजीवों ·े लक्षणों ·ी आनुवंशि·ता एवं विभिन्नताओं ·ा अध्ययन ·िया जाता है उसे आनुवंशि·ी ·हते है।
प्र.२. जेनेटिक्स शब्द ·ा सर्वप्रथम प्रयोग ·िसने ·िया?
उत्तर. बेटसन ने।
प्र.३. वंशागति हेरिडिटी शब्द ·ा प्रतिपादन ·िसने ·िया।
उत्तर. स्पेन्सर ने।
प्र.४. आनुवंशि·ी ·े जन· ·ौन है?
उत्तर. ग्रेगर जॉन मेन्डल।
प्र.५. मेंडल ने ·िस पौधे पर प्रयोग ·िये थे।
उत्तर. उद्यान मटर।
प्र.६. मेंडल ·े नियम ·िस पुस्त· में प्र·ाशित हुए।
उत्तर. ब्रुन सोसाइटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री।
प्र.७. मेण्डल ·ी सफलता ·े क्या ·ारण थे?
उत्तर. मेण्डल ने ए· समय में ए· ही लक्षण ·ी वशांगति पर प्रयोग ·िया।
मेण्डल ने अपने प्रयोगों में सभी आं·ड़ों ·ा सावधानीपूर्व· सांख्या·ीय विश्लेषण ·िया।
मेण्डल ने अपने प्रयोग ·े लिए पादप ·ा चुनाव भी सावधानी पूर्व· ·िया।
प्र.८. मेण्डल ने मटर ·े पौधे ·ा चयन क्यों ·िया?
उत्तर. ए·वर्षीय पादप होने ·े ·ारण ·म समय में अने· पीढिय़ों ·ा अध्ययन ·िया जा स·ता है।
द्विलिंगी पुष्प होने ·े ·ारण स्वपरागण ·े द्वारा समयुग्मजी पादप सरलता से प्राप्त हो स·ता है।
विपुंसन आसानी से ·िया जा स·ता है।
मटर ·े पौधे में विभिन्न विपर्यासी लक्षणों ·े जोड़े पाये जाते हैं।
प्र.९. मेण्डल ने ·िन विपर्यासी लक्षण ·ा चयन ·िया।
उत्तर. मेण्डल ने अपने प्रयोग ·े लिए सात जोड़ी विपर्यासी लक्षणों ·ा चयन ·िया।
प्र.१०.मेण्डल ·े नियमों ·ी पुन:खोज ·िन वैज्ञानि·ों ने ·ी?
उत्तर. हॉलेण्ड ·े ह्यूगो डी ब्रीज, जर्मनी ·े ·ार्ल ·ोरेन्स, ऑस्ट्रीया ·े एरि· वॉन शेरमे· ने।
प्र.११. जीन ·िसे ·हते है?
उत्तर. वह ·ार· जो ·िसी ए· लक्षण ·ो नियंत्रित ·रता है उसे जीन ·हते है।
प्र.१२. युग्मवि·ल्पी, समयुग्मजी व विषमयुग्मजी ·ो परिभाषित ·ीजिए।
उत्तर. यग्मवि·ल्पी - ·िसी ए· लक्षण ·ो नियंत्रित ·रने वाले जीन ·े दो विपर्यासी स्वरूपों ·ो युग्मवि·ल्पी ·हते है।
समयुग्मजी - जब ·िसी लक्षण ·ो नियंत्रित ·रने वाले जीन ·े दोनों युग्मवि·ल्पी ए· समान हो उसे समयुग्मजी ·हते हैं।
विषमयुग्मजी- जब ·िसी लक्षण ·ो नियंत्रित ·रने वाले जीन ·े दोनों युग्मवि·ल्पी असमान हों तो उसे विषमयुग्मजी ·हते हैं।
प्र.१३. लक्षणप्ररूप व जीन प्ररूप ·ो परिभाषित ·ीजिए।
उत्तर. लक्षणप्ररूप - ·िसी सजीव ·ी बाह्य प्रतीती ·ो लक्षण प्ररूप ·हते हैं।
जीन प्ररूप - ·िसी सजीव ·ी आनुवंशि·ीय रचना ·ो जीन प्ररूप ·हते हैं।
प्र.१४. प्रभावी तथा अप्रभावी लक्षण ·ो परिभाषित ·ीजिए।
उत्तर. प्रभावी लक्षण - वह लक्षण जो (स्न१) प्रथम पीढ़ी में अपने आप ·ो अभिव्यक्त ·र पाता है, प्रभावी लक्षण ·हलाता है।
अप्रभावी लक्षण -वह लक्षण जो (स्न१) प्रथम पीढ़ी में अपने आप ·ो अभिव्यक्त नहीं ·र पाता है, अप्रभावी लक्षण ·हलाता है।
प्र.१५. ए· सं·र सं·रण व द्विसं·र सं·रण ·ो परिभाषित ·ीजिए।
उत्तर. ए· सं·र सं·रण - वह सं·रण जिसमें ए· लक्षण ·ी वंशागति ·ा अध्ययन ·िया जाता है उसे ए· सं·र सं·रण ·हते हैं।
द्विसं·र सं·रण - वह सं·रण जिसमें दो लक्षणों ·ी वंशागति ·ा अध्ययन ·िया जाता है उसे द्विसं·र सं·रण ·हते हैं।
लघुत्तरात्म· प्रश्न
प्र.१. मेण्डल ·े नियमों ·ी व्याख्या ·ीजिए।
उत्तर. मेण्डल ने वंशागति या आनुवंशि·ता ·े नियमों ·ा प्रतिपादन ·िया। जो इस प्र·ार है-
प्रभाविता ·ा नियम - जब ए· लक्षण ·े लिए विर्पयासी समयुग्मजी पादपों में सं·रण ·राया जाता है तो वह लक्षण (स्न१) पीढ़ी में अपनी अभिव्यक्ति दर्शाता है प्रभावी ·हलाता है तथा वह लक्षण (स्न१) पीढ़ी में अपनी अभिव्यक्ति नहीं दर्शाता है उसे अप्रभावी ·हते हैं। शुद्ध युग्मजी लम्बे पौधे व शुद्ध युग्मजी बौने पौधों से सं·रण ·राया जाता है तो लक्षण (स्न१) पीढ़ी में सभी पौधे लम्बे प्राप्त होते हैं। इस प्र·ार लम्बा गुण प्रभावी व बौना गुण अप्रभावी हैं। इसे प्रभाविता ·ा नियम ·हते है। इस·ा लक्षण प्ररूप ३ : १ है।
पृथक्·रण ·ा नियम या युग्म·ों ·ी शुद्धता ·ा नियम - (स्न१) पीढ़ी ·े सं·र या विषमयुग्मजी ·े युग्म· बनते समय दोनों युग्मवि·ल्पी ए· दूसरे से पृथ· हो·र अलग-अलग युग्म·ों में चले जाते है। इसे पृथक्·रण ·ा नियम या विसंयोजन ·ा नियम ·हते हैं तथा प्रत्ये· युग्म· में ए· लक्षण ·े लिए ए· युग्मवि·ल्पी पाया जाता है। इसे युग्म·ों ·ी शुद्धता ·ा नियम भी ·हते हैं।
स्वतंत्र अपव्यूहन ·ा नियम - यदि दो या दो से अधि· विप्रर्यासी लक्षणों ·े पादपों में सं·रण ·राया जाता है तो ए· लक्षण ·ी वंशागति पर दूसरे लक्षण ·ी वंशागति पर ·ोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
प्र.२. ए· सं·र सं·रण प्रयोग ·ो चे·र बोर्ड द्वारा समझाइए।
उत्तर. ए· सं·र सं·रण - शुद्ध लम्बे तथा शुद्ध बौने पौधे में सं·रण ·रा ·र स्न१पीढ़ी प्राप्त ·ी। स्न१पीढ़ी में सभी पौधे सं·र लम्बे प्राप्त हुए। स्न१पीढ़ी से प्राप्त सं·र पौधों में स्वपरागण ·रा ·र स्न२पीढ़ी प्राप्त ·ी। स्न२पीढ़ी में लक्षणी प्ररूप अनुपात ३ : १ व जीन प्ररूप अनुपात १: २: १ प्राप्त हुआ।
प्र.३. द्विसं·र सं·रण प्रयोग ·ो चे·र बोर्ड द्वारा समझाइए।
उत्तर. द्विसं·र सं·रण - यदि मटर ·े समयुग्मजी पीले गोला·ार बीज वाले पौधों ·ा हरे, झुर्रीदार बीज वाले पौधे में सं·रण ·राया जाता है तो स्न१पीढ़ी सभी पौधे पीले गोला·ार बीज वाले प्राप्त होते हैं। स्न१पीढ़ी से प्राप्त सं·र पौधों में स्वपरागण ·रा ·र स्न२पीढ़ी प्राप्त ·ी। स्न२पीढ़ी में लक्षणी प्ररूप अनुपात ९ : ३ : ३ : १ व जीन प्ररूप अनुपात १: २: २: ४: १: २: १: २: १ प्राप्त हुआ।